Not known Details About Shiv chaisa

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Victory to the husband of Girija, the compassionate Lord. He constantly guards and nurtures his devotees and children. By using a crescent moon adorning his forehead, And earrings made from snakes’ hoods.

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

It contains forty verses (chalisa), created while in the Hindi language. The chalisa is structured within a poetic structure and is broadly recited by devotees as a means to praise and seek blessings from Lord Shiva.

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

करत more info कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने more info के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीस का पाठ खूब करते हैं।

शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥

पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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